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अगर आप समाज से अलग-थलग महसूस करते हैं, और सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे ऐप्स पर ज्यादा समय बिताते हैं तो एक नए शोध के अनुसार, इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। सोशल मीडिया से युवाओं में अवसाद बढ़ रहा है . फेसबुक से डिप्रेशन का खतरा 7% बढ़ा. फेसबुक से चिड़चिड़ापन का खतरा 20% बढ़ा है.. सोशल मीडिया ने बढ़ा दी है मोटापा, अनिद्रा और आलस्य की समस्या. ‘फियर ऑफ मिसिंग आउट’ को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं. स्टडी के मुताबिक सोशल मीडिया से सुसाइड रेट बढ़े. इंस्टाग्राम से लड़कियों मे हीन भावना आ रही है। वर्तमान समय में फोन बड़े से लेकर बच्चों तक के लए जरूरी हो गया है। बच्चों के स्कूल की पढ़ाई भी ऑनलाइन हुई है। ऐसे में बच्चे फोन पर ज्यादा समय बताते है। फोन के ज्यादा इतेमाल की वजह से बच्चों को सोशल मीडिया की लत भी लग रही है। सोशल मीडया पर लत क वजह से बच्चों की नींद पर असर पड़ रहा है। नजर भी कमजोर हो जाती है। नेशनल इंटयूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट में ये साफ हुआ है कि अगर कोई बच्चा एक हफ्ते तक लगातार सोशल मीडया का प्रयोग करते है, तो वह एक रात तक की नींद भी खो सकते है। अक्सर बच्चों के साथ ये होता है कि जब वो सोशल मीडया का इस्तेमाल करके सोते है, तो आंखे बंद करने के बाद भी उनके दमाग में वह चीजें चलती रहती है, जो वो देखकर सोए है। डी मोंटफोर्ट यूनिवसिर्टी, लिसेस्टर इंग्लैड की रिसर्च के अनुसार- 10 साल के वो बच्चे जो सोशल मीडया का ज्यादा इतेमाल करते है, उनकी नींद पर इसका गहरा असर पड़ता है। 69% बच्चों ने कहा कि वो दिन में चार घंटे से ज्यादा समय तक सोशल मीडया पर एक्टिव रहते है। प्यू रिसर्च सेंटर अमेरिका के एक शोध के अनुसार लगभग दो-तिहाई बच्चे सोने से दो घंटे पहले सोशल मीडया का इतेमाल करते है। अमेरिका में हर पांचवा युवा यानी लगभग 19% युवाओं ने साल भर के भीतर किसी न किसी तरह के खेल में पैसा लगाया है। इसमें वे ज्यादातर बार ऑनलाइन सट्टेबाजी का शिकार हुए है। आज के समय में सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा उपयोग से युवा वर्ग में न सिर्फ आत्मविश्वास कम हो रहा है बल्कि अकेलेपन का भी आभास बढ़ रहा है। यही कारण है कि हताशा और चिंता भी बढ़ती है।पिछले काफी समय से सोशल मीडिया पर वैसे तो सभी वर्गों की सक्रियता बढ़ी है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित युवा वर्ग हो रहा है। यहां तक की आत्महत्या का ख्याल भी युवाओं में बढ़ रही है। लंबे समय तक सोशल मीडिया पर बने रहने के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर हो रहा है। ऐसे मामलों में 15 से 45 वर्ष आयु के केस अधिक सामने आ रहे हैं। जिसके कारण नींद की कमी के साथ-साथ कार्य की क्षमता भी प्रभावित होती है। आज का दौर मोबाइल.. लैपट़ॉप जैसे गैजेट्स के बगैर अधूरा है। ऐसे में कैसे रखें अपनी मानसिक सेहत का ध्यान और किन उपायों को अपनाकर सोशल मीडिया के एडिक्शन से बचा जा सकता है।
Guests:
1- Prof V Rajyalaxmi, Sociologist, University of Delhi
2- Dr. Jitendra Nagpal, Senior Consultant – Mental Health, Moolchand Medcity
3- Dr. Rushi, HOD, Department of Clinical Psychology, Dr RML Hospital
Anchor: Preeti Singh
Producer: Pardeep Kumar
Production: Sagheer Ahmed
Guest Team: Manoj Gupta, Vinod Kumar Singh
PCR Team: Ashutosh Jha, Ranpal Singh
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