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संसद टीवी के ख़ास कार्यक्रम ‘आवाज देश की’ में आज बात समान नागरिक संहिता की. भारत के सभी धर्मों और वर्गों के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग आज़ादी के बाद से ही उठती रही है. समान नागरिक संहिता की अवधारणा औपनिवेशिक भारत में सामने आई थी फिर आज़ादी के बाद जनसंघ और बीजेपी ने समान नागरिक संहिता को अपने चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा बनाया. संविधान का अनुच्छेद-44 में राज्यों को समान नागरिक संहिता लागू करने की आजादी देता है, समान नागरिक संहिता में देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून मिल सकता हैं, सरकार के लिए समान नागरिक संहिता को लागू करना एक चुनौतीपूर्ण काम है, अभी देश में संपत्ति, विवाह और तलाक के नियम हिंदुओं, मुस्लिमों और ईसाइयों के लिए अलग-अलग हैं, देश में कई धर्म के लोग विवाह, संपत्ति और गोद लेने आदि में अपने पर्सनल लॉ का पालन करते हैं. एक तरफ मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का अपना-अपना पर्सनल लॉ है वही दूसरी ओर हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध भी शामिल हैं, गोवा में 1961 से ही समान नागरिक संहिता यानि पुर्तगाल सिविल कोड 1867 लागू है, यह देश का एक ऐसा राज्य हैं जहां 1961 से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है. सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता बनाने के लिए अप्रैल 1985 में पहली बार सुझाव दिया था, शाह बानो 1985 और सरला मुद्गल वाद 1995 के मामले के बीच UCC की मांग उठी, समान नागरिक संहिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट तक सरकार से सवाल कर चुकी है. सितंबर 2019 में एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने UCC पर चिंता की थी, एक बड़ा वर्ग मानता है कि पूरे देश में सभी के लिए एक समान संहिता होनी चाहिए तो वहीं कुछ लोग इसे संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के विरोध में मानते हैं. ऐसे में, देश जाति, धर्म और समुदाय से ऊपर होता है, दुनिया के कई मुल्क में यानि अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान, इजिप्ट, जैसे देशों में भी समान नागरिक संहिता लागू हैं, देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए अब तक कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया, वर्तमान में गुजरात, उत्तराखंड सहित कुछ राज्य अपने यहां समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कमेटी बनाने की घोषणा कर चुके हैं…तो बात इन्हीं सब मुद्दों की।
Guests:
1. P.K. Malhotra, Former Secretary, Ministry of Law & Justice, GoI
पी.के. मल्होत्रा, पूर्व सचिव, विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार
2. Prof. Sanjeev Kumar Tiwari, Principal, Maharaja Agrasen College, University of Delhi
प्रो. संजीव कुमार तिवारी, प्रिंसिपल, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
3. Dr. Zeenat Shaukat Ali, Director-General, Wisdom Foundation, Mumbai
डॉ. जीनत शौकत अली, महानिदेशक, विजडम फाउंडेशन, मुंबई
Anchor: Pratibimb Sharma
Producer: Sagheer Ahmad
Guest Coordinator: Manoj Gupta, Lokesh Bhardwaj, Paras Kandpal
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