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संसद की मंजूरी के बाद दंड प्रक्रिया शनाख्त विधेयक 2022 अब कानून बन चुका है। 18 अप्रैल 2022 को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद नये कानून ने 102 साल पुराने बंदी शनाख्त कानून 1920 की जगह ले ली..। 920 के कानून के मुताबिक पुलिस आरोपियों और दोषियों का रिकॉर्ड रखने के लिए उनके फिंगर प्रिंट्स और पैरों के निशान ले सकते थे। इसके अलावा अपराध की जांच में मदद के लिए मेजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति की पैमाइश यानि मेज़रमेंट्स या फोटोग्राफ लेने के आदेश दे सकता था। लेकिन दंड प्रक्रिया शनाख्त कानून 2022 के बाद इसके साथ-साथ पुलिस अब अपराधियों की आंखों की पुतलियों की पहचान, हाथ-पैरों की छाप, फोटो, रेटिना, जैविक नमूने, दस्तखत और लिखावट के नमूने जैसी चीजें भी ले सकेगी। सरकार का मानना है कि ज्यादा ब्योरा मिलने से दोषियों को सजा दिलाने के काम में तेजी आएगी और दोषियों को पकड़ने में भी सुविधा होगी। कैसे अलग है IDENTIFICATION OF PRISONERS ACT 1920 से नया कानून अलग। हर पहलू की बारीक पड़ताल देखिये संसद संवाद।
Anchor: Deeksha Kohli
Producer : Shams Tabrej
Video Editor, VFX & SFX: Prashant Singh
Graphics: Kishan singh bist
Camera : Nilesh Pandey
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