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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जीएसटी परिषद की सिफारिशों को मानने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा कि भारत में सहकारी संघीय व्यवस्था है और इसी वजह से जीएसटी परिषद की सिफारिशों का महत्व बस प्रेरित करने का है। भारत में केंद्र और राज्य दोनों के पास जीएसटी से संबंधित कानून बनाने का अधिकार है।
अनुच्छेद 279बी को हटाना और संविधान संशोधन अधिनियम 2016 से अनुच्छेद 279 (1) को शामिल करने के पीछे संसद का इरादा सिफारिशों के लिए था। जीएसटी काउंसिल सिर्फ एक प्रेरक की तरह है क्योंकि जीएसटी फ्रेमवर्क का उद्देश्य सहकारी संघवाद यानि Co-operative federalism को बढ़ावा देना था।
खंडपीठ ने कहा कि जीएसटी परिषद को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच व्यावहारिक समाधान निकालने के लिए जीएसटी परिषद को सौहाद्र्रपूर्ण तरीके से काम करना चाहिये। अदालत ने इस फैसले में सहकारी संघवाद के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला है। अदालत का फैसला एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम, 2007 के तहत समुद्री माल पर कर लगाने से संबंधित गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर आया है।
गुजरात उच्च न्यायालय ने सरकार की 2017 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था जिसमें एक जहाज में माल के परिवहन की सेवाओं पर 5% आईजीएसटी लगाने का प्रावधान था. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। क्या है इस फैसले के मायने और इस फैसले का क्या होगा जीएसटी व्यवस्था पर असर
Guests:
1- Sanjay Sharan, Former Commissioner of Customs & CGST
2- Sidhartha, National Economic Editor, TOI
3. Prof. Arvind Mohan, Department of Economics,University of Lucknow
Anchor: Preeti Singh
Producer: Surendra Sharma
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