Amar Kranti Katha | अमर क्रांति कथा - कनकलता बरूआ | 26 March, 2022

कोई 18 साल लड़की तिरंगा के लिए गोली खाने निकल पड़ती है। ये घटना है आसाम की। उनका नाम था कनकलता बरुआ। भारत छोड़ो आन्दोलन में कनक एक जूलूस का नेतृत्व कर रही थी। अंग्रेजी पुलिस ने रोका तो

युवती शेर के समान गरज उठी और बोली- हम युवतियों को अबला समझने की भूल मत कीजिए। आत्मा अमर है, नाशवान है तो मात्र शरीर। हमारी स्वतंत्रता की ज्योति बुझ नहीं सकती। फिर क्या था। गोलियों की बौछार होने लगी। पहली गोली कनकलता को लगी। वो गिरी लेकिन तिरंगा झुकने नहीं दिया।

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