कोई 18 साल लड़की तिरंगा के लिए गोली खाने निकल पड़ती है। ये घटना है आसाम की। उनका नाम था कनकलता बरुआ। भारत छोड़ो आन्दोलन में कनक एक जूलूस का नेतृत्व कर रही थी। अंग्रेजी पुलिस ने रोका तो
युवती शेर के समान गरज उठी और बोली- हम युवतियों को अबला समझने की भूल मत कीजिए। आत्मा अमर है, नाशवान है तो मात्र शरीर। हमारी स्वतंत्रता की ज्योति बुझ नहीं सकती। फिर क्या था। गोलियों की बौछार होने लगी। पहली गोली कनकलता को लगी। वो गिरी लेकिन तिरंगा झुकने नहीं दिया।
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