आज चर्चा ऐसे मुद्दे पर करेंगे जो सामाजिक और कानूनी दृष्टि से खासा महत्वपूर्ण है। दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर किसी अदालत को लगता है कि एससी/एसटी अधिनियम के तहत दर्ज कोई अपराध मुख्य रूप से निजी या दीवानी का मामला है या पीड़ित की जाति देखकर नहीं किया गया है तो वह मामले की सुनवाई निरस्त करने की अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर सकती है। दूसरी स्थिति यह हो सकती है कि अगर दोनों पक्षों में मामले में समझौता हो गया हो और कोर्ट इस बात से संतुष्ट हो कि केस निरस्त हो सकता है तो फिर केस खारिज किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी अनुसूचित जाति / जनजाति अधिनियम के तहत दोषी करार दिए गए एक व्यक्ति के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही समाप्त करने के दौरान की है। एससी एसटी एक्ट कानून एससी-एसटी वर्ग को अपमान और अत्याचार से बचाने के लिए है। जाहिर है एससी/एसटी अधिनियम को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय का फैसला खासा अहम है।
Guests:
1- Kapil Sankhla, Advocate, Supreme court
2- PK Malhotra, Former Secretary, Ministry of Law and Justice, GoI
3- Dr Justice Satish Chandra, Former Judge, Allahabad High Court
Anchor: Manoj Verma
Producer: Pardeep Kumar
Assistant Producer: Surender Sharma
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