1942 में लता मंगेशकर के पिता की मौत हो गई।पिता की मृत्यु के बाद जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थी को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। लता जी को अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की कारण से पैसों के लिये उन्हें कुछहिन्दी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा जिसमें उन्होंने खुद की भूमिका के लिये भी गाने गाये और बहन आशा के लिये पार्श्वगायन किया।
1949 में लता जी को सुनहरा मौका मिला फ़िल्म “महल” के “आयेगा आनेवाला” गीत को गाने का, इस गीत से उनकी किस्मत बदल गई और उनके गाए गीत और आवाज़ फिल्मों की सफलता की गारंटी बन गए
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