Itihasa | इतिहास : भारतीय संस्कृति के सूत्र | कृष्ण भक्ति की चैतन्य धारा | Episode - 03

मध्यकालीन भारत के सांस्कृतिक इतिहास में भक्ति आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। चैतन्य महाप्रभु भक्तिकाल के उन महान संतों में से हैं जिन्होंने वैष्णव संप्रदाय के भक्ति योग का प्रचार किया और समाज को भक्ति की भावना से बांधा। चैतन्य महाप्रभु ने हरिनाम संकीर्तन की रसधारा बहाकर लोगों को प्रभु प्रेम की ऐसी संजीवनी सुधा पिलाई जिसकी प्रभाव वैष्णव कृष्ण भक्तों के हृदय में आज भी है। आधुनिक समय में पूरे विश्व में कृष्ण भक्ति की ये चैतन्य धारा और श्रीमद्भगवतगीता के प्रति अटूट आस्था को बढ़ाने का श्रेय अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को जाता है। अलौकिक कृष्णभक्त स्वामी प्रभुपाद ने ही जुलाई 1966 में ISKCON यानी International Society for Krishna Consciousness की स्थापना के जरिए कृष्णभावनामृत की अलख पूरी दुनिया तक पहुंचाई। जिसे ‘हरे कृष्ण आंदोलन’ के रूप में भी जाना जाता है।

Anchor: Dr. Bibek Debroy

Producer & Floor Director: Sandeep Shukla

Production Crew:
Asst. Producer: Ekta Mishra
Voice over: Preeti Singh
Editor, VFX & SFX: Ashish katoch
Studio Camera Management: Kanwaljeet Rekhi, Prasanta Karmakar, Pradeep Kumar
Graphics & VFX: Roohi Setia, Shobha Kumari
SPL Credits : ISKCON, Mayapur TV

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